अनासक्ति आश्रम कौसानी उत्तराखंड
स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी कुली बेगार प्रथा का विरोध करने के लिए देश व्यापी दौरे पर निकले थे जिसमें वे कौसानी में माह जून 1929 में पहुंचे थे। महात्मा गांधी को जिस जगह ठहराया गया था वह एक चायबगान मालिक का डांक बंगला था। महात्मा गांधी का प्रोग्राम कौसानी में रुकने का दो दिन का था किन्तु वहां की सुन्दरता देख कर गांधी जी 14 दिन रुक गए। देश स्वतन्त्र होने के बाद उस स्थान को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती सुचिता कृपलानी ने उस स्थान (डांक बंगले) को गांधी स्मारक के रूप में विकसित करने के लिए उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि को सौप दिया तब से उस स्थान की देखरेख उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि द्वारा किया जा रहा है। महात्मा गांधी जी जिस स्थान पर प्रार्थना करते थे उस स्थान पर गांधी संग्रहालय बना है तथा प्रतिदिन वहा प्रार्थना सांय गर्मी में 7 बजे तथा जाड़े के दिन में सांय 6 बजे होती है। आश्रम में रूकने वाले प्रत्येक पर्यटक को प्रार्थना में भाग लेना अनिवार्य होता है।
महात्मा गांधी ने एक पुस्तक की प्रस्तावना वही पर बैठकर लिखे थे। जिसका नाम अनसक्ति योग है। प्रस्तावना में महात्मा गांधी जी ने लिखा है कि लोग स्विटजरलैण्ड क्यो जाते है। भारत का स्विटजरलैण्ड कौसानी है। उसी पुस्तक के आधार पर उक्त स्थान का नाम अनसक्ति आश्रम रखा गया है। आश्रम चारों तरफ से हिमालय की गगन चुम्बी पहाड़ियों के बीच में हैं। जिसकी सुन्दरता देखते ही बनती हैं। हल्दवानी से इसकी दूरी 155 किमी0 है तथा अल्मोड़ा से 55 किमी0, रानीखेत से 50 किमी0 पर स्थित है पर्यटको के रूकने के लिए कुछ कमरे भी है तथा दो सभागार भी आश्रम में है जिसमे कोई-न-कोई आयोजन होते रहते है।